IX Hin II Term Exam Dec 2018 Answers


IX Hindi II Term. Exam. Dec. 2018 – Answers

1. ) पोस्टमैन बिना चप्पल चला आता था।                                        1
2. 'सुंदर' विशेषण है।                                                                  1
3. पोस्टमैन की डायरी।                                                             4
तारीख: ............
      आज मुझे बेबी नामक एक छोटी लड़की ने नए जूते बनवा दिए। वास्तव में वह लड़की एक पैरवाली है, बैसाखियों के सहारे चलनेवाली है। लेकिन औरों की कष्टताओं पर वह दुखी होनेवाली है। पिछले कुछ दिनों से उसने मेरा निरीक्षण किया था और समझा था कि मैं नंगे पैर चल रहा हूँ। उसे लगा होगा कि इस कड़ी धूप में बिना चप्पल, बिना छतरी, बिना साइकिल के यह पोस्टमैन कैसे चल रहा है। जो भी हो, वह बड़ी दलायू लड़की है। उसके एक पैर नहीं। हे भगवान! मुझे बड़ा दुख हुआ कि उस लड़की को मैं एक पैर कैसे दूँ। मुझे उस लड़की का सामना करना बहुत मुश्किल है। अत: मैंने बड़े बाबू से निवेदन किया है कि मेरा लाइन बदल दें। आज का दिन अच्छा दिन था।

                                 - अथवा -
बेबी की चरित्रगत विशेषताएँ                                            4
      वेंकटेश माडगुलकर की कहानी 'नंगे पैर' की मुख्य पात्र बेबी नामक लड़की है। वह भिन्‍न क्षमतावाली है, उसके एक पैर नहीं है। इसीलिए उसे घर पर ही रहना पड़ता है। अत: वह घर में आनेवाले लोगों से बात करने में बहुत तत्पर होती है। एक पैरवाली होने पर भी वह औरों की कष्टताएँ देखकर बहुत दुखी हो जाती है। कहानी का एक प्रधान पात्र है नया पोस्टमैन, उसे कड़ी धूप में बिना चप्पल घूमते देखकर वह दुखी हो जाती है। पोस्टमैन को देने के लिए वह हरीबा मोची से नए जूते बनवाती है। दूसरों की कष्टताएँ दूर करने में यह लड़की कष्ट उठाने के लिए तैयार होती है।
4. समूह के अर्थ में प्रयुक्‍त शब्द है - 'गुट'                                    1
5. ये देश अनेक गुशों का गुट बनाकर                                           2
अन्य गुटों से अकसर मार काट करते हैं।
6. कवितांश का आशय।                                                      4
      'जीने की कला' हिंदी के मशहूर कवि त्रिलोचन की एक अच्छी कविता है। इस कविता के द्‌वारा कवि पाठकों को सहयोग और सहकारिता के साथ रहने का उपदेश देते हैं।
      कवि कहते हैं कि यह धरती अनेकों देशों में बँट गई है। आदमी जहाँ रहता है उसे देश कहता है। इस प्रकार मानवों से बनाए गए देशों के गुटों के बीच में दुश्मनी होती है और उससे युद्‌ध भी होता है। इन संकीर्ण भावनाओं के कारण मानव के विकास कार्यों में बाधा होती है। क्योंकि देश के गुटों के बीच में मारकाट होती है, युद्‌ध होते हैं। इसलिए कवि कहते हैं कि मानव को सारी कलाएँ, विज्ञान तो आते हैं लेकिन जीने की कला नहीं आती। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी देश भारी रकम खर्च कर रहे हैं। यदि सभी मनुष्यों में सहयोग और सहकारिता की भावना रहे तो विकास और भी तीव्रगति से होगा।
      कवि इस कविता के द्‌वारा पाठकों को, सभी को स्वीकार करने और सहकारिता के साथ रहने का उपदेश देते हैं। विश्व भर में विभिन्‍न देशों के बीच में आज भी संघर्ष और युद्‌ध चलते रहते हैं। ऐसे संदर्भ में यह कविता बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक है।
7. बेबी की विशेषता - ) दूसरों की सहायता करनेवाली।                    1
8. नमूने के अनुसार बदलकर लिखें।                                            1
   बेबी रुपया देती है - बेबी रुपया देगी।
9. नंगे पैर – पटकथा।                                                        4
स्थान: बेबी का घर।
समय: शामको तीन बजे।
पात्र: 1. बेबी- करीब 12 साल की लड़की। एक पैरवाली, बैसाखियों की सहायता से चलती है। फ्रॉक पहनी है।
      2. हरिबा - मोची, करीब 45 साल का आदमी, लुंगी और कुरता पहना है।
संवाद:
बेबी: (धीमी आवाज़ में, पास बुलाकर पाँच रुपए हाथ में थमाकर) मुझे इसके जूते बना दो।
हरीबा: (सिर हिलाकर) बना दूँगी बहिन! नाप ले लूँ।
बेबी: अरे मेरे पैर का नहीं।
हरीबा: फिर किसके लिए?
बेबी: आप दो दिनों के बाद आइए, मैं नाप दे दूँगी।
(हरीबा मोची चला जाता है।)
10. ) देश के अधिकांश लोग गरीब हैं।                                       1
11. उसने = वह + ने                                                          1
12. सादगी का महत्व – लघु लेख।                                        4
                             सादा जीवन उच्च विचार
      समाज में कुछ लोग बहुत धनिक हैं लेकिन शेष लोग आज भी अत्यधिक गरीबी में रहनेवाले हैं। अमीर लोग बड़ी सुख-सुविधाओं के साथ आडंबर का जीवन बिताते समय गरीब लोग कष्टताओं में जीवन देते हैं। ऐसी हालत में सादा जीवन बिताने का महत्व बढ़ता जा रहा है। हमारा जीवन सादा हो और विचार उच्च हो। हमें फिज़ूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए। हमारे राष्ट्रपिता गाँधीजी अत्यधिक सादगी का जीवन बितानेवाले थे। वे एक धोती पहनते थे और पेंसिल से लिखते थे। उनका विचार था कि जब हमारे देश के अधिकांश लोग गरीब हों तो हमें फिज़ूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए। गाँधीजी ने जैनधर्म के अपरिग्रह को स्वीकार किया था। सादगी का जीवन बिताने से हमारी आर्थिक कठिनाई दूर हो जाती है। अनावश्यक खर्चों को छोड़कर सोच-समझकर पैसे खर्च करना चाहिए। अमीर लोग फिज़ूलखर्ची छोड़कर उन पैसों से गरीबों की सहायता करें तो समाज का विकास भी होता है। सादगी वड़ा लाभदायक होती है।
                                         - अथवा -

2 अक्‍तूबर
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
(गाँधीजी का जन्मदिन)
हिंसा छोड़ दें, अहिंसा को स्वीकार करें।
हिंसा से समाज में अशांति फैल जाती है।
सभी से दयापूर्ण और प्रेमपूर्ण व्यवहार करें।
अहिंसा से शांति होती है,
सामाजिक विकास भी होता है।
13. अश्रु - मोती।                                                                  1
14. हिंदी के मशहूर कवि गोपालदास नीरज की एक अच्छी कविता है 'छिप छिप अश्रु बहानेवालो'। यह एक संबोधनात्मक कविता है। कवि इस कविता के द्‌वारा पाठकों को छोटी-छोटी बातों पर दुखी न होने और जिंदगी में संतृप्ति के साथ रहने का उपदेश देते हैं।
      जब आशाएँ सफल नहीं होतीं तब मनुष्य अत्यधिक दुखी होता है और छिप-छिप अश्रु बहाता है। लेकिन अपनी जिंदगी को विशाल अर्थ में स्वीकार करने पर मनुष्य छोटी-छोटी बातों पर दुखी नहीं होते। जिंदगी में सभी सपने साकार नहीं होते। सपने साकार होने के लिए कड़ी मेहनत की ज़रूरत पड़ती है। कवि उपदेश देते हैं कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। याने इस नश्वर जगत में जीते समय हमें जो भी मिलें उससे संतृप्त होकर जीवन बिताना अनिवार्य होता है।
      कवि इस कविता के द्‌वारा सभी मानवों को छोटी-छोटी बातों पर दुखी न होने और छिप छिप अश्रु नहीं बहाने का उपदेश देते हैं। जिंदगी में सभी आशाएँ पूर्ण नहीं होतीं। अर्थात आशाओं की पूर्ति नहीं होने पर उसपर दुखी होना अच्छी आदत नहीं है। यह संबोधनात्मक कविता उपदेशात्मक कविता है। यह बिल्कुल अच्छी और प्रासंगिक कविता है।
15. 'जिस गली में मैं रहता हूँ' - घटना के आधार पर समाचार।                 4
कविता के कारण 50 लोगों की जानें बच गईं
स्थान: नई दिल्‍ली तारीख: 5-10-1857- आज कर्नल ब्राउन के निर्देशानुसार कवि मिर्ज़ा ग़ालिब और उनके पड़ोस में रहनेवाले 50 लोगों को अंग्रेज़ी सिपाहियों ने गिरफ्तार कर लिया और कर्नल ब्राउन के सामने पेश किया गया। कर्नल ब्राउन ने मिर्ज़ा ग़ालिब से पूछा कि आप क्या करते हैं? उन्होंने उत्‍तर दिया कि मैं उर्दू में कविता लिखता हूँ। ब्राउन को खुशी हुई और ग़ालिब को इज़्ज़त के साथ घर वापस छोड़ने का आदेश दिया। तब गालिब ने कहा कि मेरे साथ गिरफ्तार किए गए पड़ोसी बेहद सीधे-सादे हैं। उन्हें भी रिहा कर दिया जाए, वे भी कविता लिखते हैं। कर्नल ने उनको भी घर जाने की इज़ाज़त दे दी। इस प्रकार कविता के कारण 50 आदमियों की जानें बच गईं।
16. वाक्य पिरमिड                                                                 2


ब्राउन ने छोड़ दिया।
ग़ालिब को ब्राउन ने छोड़ दिया।
कविता लिखने के कारण ग़ालिब को ब्राउन ने छोड़ दिया।
उर्दू में कविता लिखने के कारण ग़ालिब को ब्राउन ने छोड़ दिया।
17. आसमान में चिड़ियाँ उड़ रही थीं।                                           1
18. सही मिलान।                                                                 4
       प्रत्येक चिड़िया की आशा थी - कि मैं आसमान को छुऊँगी।
      शिकारी लोग चिड़ियों को - जाल में फँसाना चाहते थे।
      सोने के पिंजरे की चीज़ें - मोहित करनेवाली थीं।
      उड़ती चिड़ियों पर - शिकारी तीर लगा रहे थे।

ravi. m., ghss, kadannappally, kannur. 9446427497

IX Hin II Term Exam Dec 2017 Qn Ans


IX Hin II Term Exam Dec 2017 – Qn Ans.

1. वह सीधा पोस्ट ऑफ़िस गया - इस वाक्य में वह सर्वनाम है। 1
2. बड़े बाबू - पोस्टमैनः वार्तालाप 4
पोस्टमैनः साहब मेरी लाइन बदल दीजिए, सिटी में कहीं भी बदली कर दीजिए।
बड़े बाबूः क्यों?
पोस्टमैनः कुछ नहीं जी, मेरी लाइन बदल दिजिए।
बड़े बाबूः बताइए कि क्या बात है। हम उसपर विचार करेंगे।
पोस्टमैनः उस लाइन में एक लड़की है जिसका एक पैर नहीं है।

बड़े बाबूः ईश्वर ने उसे एक पैर ही दिया है। उससे आप क्यों परेशान होते हैं?
पोस्टमैनः उसने मेरे नंगे पैच देखकर एक जोड़ी जूते बना दिए हैं।
बड़े बाबूः बेचारी लड़की आपको कड़ी धूप में भी नंगे पैर देखकर चलते देखकर दुखी हुई होगी।
पोस्टमैनः सही बात है जी। उस दयालू लड़की को मैं एक पैर दे सकूँ तो बड़ी खुशी होगी। लेकिन मैं असमर्थ हूँ। मुझे उसका सामना करना मुश्किल है। कृपया आप मेरी लाइन बदल दीजिए।
बड़े बाबूः उसके लिए लाइन बदलना अनिवार्य है क्या? यदि है तो हम देख लेंगे।
पोस्टमैनः धन्यवाद जी।
3. कवि ने सपने को 'नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी' कहा है। 1
4. कवि का कहना है कि हमारी जिंदगी में सारे सपने साकार नहीं होते, लेकिन उसके लिए निराश होने की ज़रूरत नहीं है। कोई भी व्यक्ति ऐसा विचार नहीं रख सकते कि हमारी सारी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं। हमें जिंदगी की समस्याओं का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। जो बीत गई सो बात गई, हमें कल के लिए तैयार होना चाहिए।2
5. छिप-छिप अश्रु बहानेवालो हिंदी के मशहूर कवि श्री गोपालदास नीरज की एक अच्छी कविता है। कवि इस कविता के द्वारा पाठकों को छोटी-छोटी बातों पर निराश न होकर भविष्य में सक्रियता से काम करने का उपदेश देते हैं।
कवि कहना चाहते हैं कि हमारी ज़िंदगी में हमें कई प्रकार की आशाओं और निराशाओं का सामना करना पड़ते हैं। इस नश्वर जगत में कोई भी व्यक्ति ऐसी उम्मीद नहीं रख सकते हैं कि हमारे सारे सपने साकार हो जाएँगे। लेकिन हमें सपने साकार करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। आशाओं की पूर्ति न होने पर उसके बारे में ही सोचकर दिन बिताना अच्छी बात नहीं है। हमारे पास जो सुविधाएँ हैं उन सुविधाओं में हमें संतृप्त होना चाहिए, दूसरों की सुविधाओं और संपत्ति को देखकर दुखी होना नहीं चाहिए। असफलताओं पर रोते रहना, सपना साकार होने के लिए मेहनत नहीं करना ये दोनों अच्छी बातें नहीं हैं। कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है। याने आगे भी बारिश आएगी, पानी का बहाव होगा।
समाज में ऐसे भी कई लोग हैं जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति न होने से, सपने साकार न होने से बहुत दुखी हो जाते हैं। ऐसे ही इन आशाभंग पर रोते रहना निराश होकर दिन बिताना आदि लाभकारी नहीं हैं। कवि यह याद दिलाना चाहते हैं कि लोगों को भविष्य के लिए सक्रिय होकर रहना चाहिए। जिंदगी में सदा सुख पाना संभव नहीं है। हमें दुख का भी सामना करना पड़ता है। निराशा में जीवन बितानेवाले याने छिप-छिप अश्रु बहानेवालों को सक्रिय बनने का उपदेश देनेवाली यह कविता बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक है।
6. उसे शब्द में निहित सर्वनाम वहहै। 1
7. कवि के अनुसार आदमी जहाँ रहता है उसे देश कहता है 1
8. आदमी को जीने की कला नहीं आती - पोस्टर 4
सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल, कडन्नप्पल्लि
समता हिंदी मंच
2-1-2017 मंगलवार
प्रातः 10 बजे, स्कूल सभागृह में
संवाद
विषयः आदमी को जीने की कला नहीं आती
संचालकः डॉ. अखिलेष
विभिन्न क्षेत्रों से कई विद्वान इसमें भाग लेते हैं
सबका स्वागत है
सचिव प्रधानाध्यापक

9. औरत धोती धो रही थी - आदमी धोती धो रहा था 1
10. गरीब औरत की हालत – गाँधीजी की डायरी 4
तारीखः................
आज मैं मदुरै में भाषण देने जाते समय एक करुणामय दृश्य देखा। एक औरत तालाब में अपनी धोती धो रही थी। आधी पहनती थी और बाकी आधी धोती थी। फिर धुली हुई को पहन लेती थी और शेष को धोती थी। उसकी हालत देखकर मैं भीतर तक हिल गया। हे भगवान! ऐसे भी गरीब लोग इस देश में रहते हैं। लेकिन कितने लोग आज भी फिज़ूलखर्ची और दिखावा करते हैं। मैंने आज एक संकल्प लिया- मैं आगे एक धोती ही पहनकर चलूँगा। आज का दृश्य मैं कभी नहीं भूलूँगा।
10. टिप्पणी 4
गाँधीजी के अनुसार जब हमारे देश के अधिकाँश लोग गरीब होते हैं हमें फ़िज़ूलखर्ची और दिखावा नहीं करना चाहिए। यदि हम सचमुच अपने देश और देशवासियों से प्यार करते हैं तो हमें कम से कम में काम चलाना चाहिए। गाँधीजी कम बोलने और ज़्यादा करनेवाले थे। जो बातें वे बोलते थे उन बातों को अपनी ज़िंदगी में उतारने में वे तत्पर रहते थे। उनके हर बात में कुछ--कुछ आदर्श हम देख सकते हैं। गाँधीजी पेंसिल से लिखते थे। उसके पीछे भी इस प्रकार की कुछ बातें छिपी हुई हैं।
11. पक्षी के संबंध में सही प्रस्तावः क) पक्षी अपनी गलतियों पर सफाई खोजनेवाला है। 1
12. वाक्य पिरमिड 2
उड़ना असंभव बन गया
आसमान में उड़ना असंभव बन गया
नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया
पक्षी के लिए नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया।
नौजवान पक्षी के लिए नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया।
(अधिकाधिक लंबा बनाने का प्रयास किया है)
13. नौजवान पक्षी के विचार पर अपनी राय 3
नौजवान पक्षी ऊँचाइयाँ उड़कर छोटे-छोटे कीट-पतंगों को खाने से अधिक गाड़ीवाले से दीमकें खरीदकर खाना चाहता था। लेकिन दीमकें उसका स्वाभाविक भोजन नहीं है। उसके पिता और मित्रों के उपदेशों को अस्वीकार करते हुए वह गाड़ीवाले से दीमकें लेकर खाता है। लेकिन इसके लिए वह अपने पंख देते हैं। रोज़ अपने पंख देने से उसका अस्तित्व भी नष्ट हो रहा था। पंख के बिना एक पक्षी कैसे जी सकता है! ऊँचाइयों पर उड़ना पक्षी की स्वाभाविक बात है। लेकिन अपने पंख नष्ट करते हुए अस्वाभाविक भोजन दीमक खाना बहुत खतरनाक बात है।
14. शीर्षकः प्रदूषण 1
15. आजकल नदियाँ कूडेदान बन गई हैं। 2
16. पर्यावरण संरक्षण – लेख 4
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। इसलिए उसे सुरक्षित रखना हमारे आज और कल के लिए नितांत आवश्यक है। विकास के नाम मनुष्य की ओर से प्रकृति के विरुद्ध कार्य चलते हैं। खेती करने, घर बनाने, कारखाने बनाने, रेल-सड़क आदि बिछाने जैसे विभिन्न कारणों से जंगलों का नाश होता जा रहा है। कारखानों से और गाड़ियों से विषैला धुआँ निकलकर वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली महानगर में प्राणवायु के लिए भी लोग तरसने लगे हैं। जलस्रोत प्रदूषित होते हैं। हमें अपने लिए और आगामी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। उसके लिए प्रदूषण को रोकने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के कदम उठाने चाहिए।
16. कविता का आशयः 4
यह कविताँश प्रदूषण की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित करनेवाला है। प्रदूषण वर्तमान समाज में एक भयंकर समस्या है।
कवि इसके द्वारा कहते हैं कि जल पीनेलायक न रहा है। याने मनुष्य की असावधानी और नकारात्मक कार्यों से सारे जलस्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। नदियाँ कूड़ेदान बन गई हैं। हमें सुहानी लगनेवाली पुरवाइयाँ अब कलुषित हो गई हैं। यहाँ कवि वायु प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। मनुष्य को छोड़कर कोई भी जीव प्रकृति पर नकारात्मक हस्तक्षेप नहीं करता। जल, वायु, ज़मीन- सब कलुषित हो गए हैं। इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषित होने से धरती पर नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं जिनकी कोई दवा नहीं। यह एक भयंकर समस्या है।
वर्तमान समाज में प्रदूषण एक भयंकर समस्या है। पर्यावरण को प्रदूषित बनाकर हम जी नहीं सकते। इस प्रकार हम अपने ही अस्तित्व पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। प्रदूषण की समस्या पर पाठकों का ध्यान आकर्षित करनेवाला यह कविताँश बिलकुल अच्छा और प्रासंगिक है।
17. इन पंक्तियों के द्वारा कवि केदारानाथ सिंह जल की कमी की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। यहाँ सारसों के माध्यम से कवि जल की कमी की समस्या प्रस्तुत करते हैं। जल खोजते हुए दूर से आए इन पक्षियों को आगे भी जल की खोज में दूर देसावर तक जाना है। मनुष्य के नकारात्मक हस्तक्षेप से प्राकृतिक जलस्रोतों का नाश हुआ है। शहरीकरण के साथ प्राकृतिक संसाधनों का नाश भी होता है।
18. मनुष्य को छोड़कर कोई भी अन्य जीव प्रकृति का नाश नहीं करता। मनुष्य अपनी सुख-सुविधाएँ बढ़ाने के लिए जो कार्य करते हैं उससे प्रकृति बुरी तरह प्रभावित होती है। प्राकृतिक जलस्रोतों को मिटाकर शहरीकरण पर वह ध्यान देता है। प्रकृति की स्वाभाविकता नष्ट करते हुए नकली विकास कार्यों में वह लग जाता है। इससे प्रकृति में रहनेवाले अन्य जीव-जंतुओं को पानी मिलने में बड़ी दिक्कत होती है। पेड़ों को काटकर, जंगलों का नाश करके, नदियों से रेत निकालकर, खेतों को मिटाकर, प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग करके मनुष्य प्रकृति में जल की कमी के लिए कारण बनता है। इसी तरह आगे भी करते रहे तो इस धरती में रहना भी असंभव हो जाएगा।
18. अकाल में सारस – नाम की सार्थकता 4
हिंदी के मशहूर कवि केदारनाथ सिंह की एक प्रसिद्ध कविता है 'अकाल में सारस'। इस कविता के द्वारा कवि पाठकों को जल की समस्या के प्रति जागृत होने का उपदेश देते हैं।
कुछ सारस पक्षियों के माध्यम से कवि जल की कमी की भीषणता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। ये पक्षी दूर से आ रहे हैं लेकिन उन्हें जलस्रोत कहीं नहीं दिखाई पड़ता। जिस प्रकार मनुष्य जलस्रोतों का नाश करके दूर से जल बोतलों में या टंकियों में लाकर पीते हैं उसी प्रकार अन्य पशु-पक्षी नहीं करते। मनुष्य के विकास कार्यों के नाम जो नाश जलस्रोतों का होता है उसका सामना अब सभी लोग करते हैं। नगरों और शहरों को बनाते समय मनुष्य प्रकृति की स्वाभाविकता नष्ट करता है। कविता में जो बुढ़िया है वह पुरानी पीढ़ी की प्रतिनिधि है। वह कटोरे में सारसों के लिए पानी रखती है। लेकिन सारस प्राकृतिक स्रोतों से पानी पीनेवाले पक्षी हैं। शहर छोड़कर जाते समय सारस पीछे मुड़कर देखते हैं। उस नज़र में प्रकृति पर नकारात्मक हस्तक्षेप के प्रति वे उनका आक्रोश छिपा हुआ है।
कवि केदानराथ सिंह ने कुछ सारसों के माध्यम से प्रकृति में जल की कमी की भीषणता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। कविता में पात्रों के रूप में सारस और बुढ़िया मात्र प्रत्यक्ष हैं। सारसों का क्रेंकार, उनकी परिक्रमा और पानी के लिए दूर देसावर की ओर जाना आदि पाठकों के मन में समस्या का अवबोध पैदा करता है। 'अकाल में सारस' शीर्षक बिल्कुल उचित है।

रवि, सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल, कडन्नप्पल्लि।

IX Hin II Term Exam Dec 2017 Qn Analysis


IX Hindi II Term Exam Dec. 2017 – Qn Analysis

1. ചോദ്യം 1 ന്റേതും 6ന്റേതും ഉത്തരം ഒരേ സര്‍വ്വനാമം വരുന്നത് ഒഴിവാക്കാമായിരുന്നു.
2. ചോദ്യം 2ന്റെ നിര്‍ദ്ദേശമായി കൊടുത്ത विनिमय എന്ന പദത്തിന്റെ അര്‍ത്ഥം അധ്യാപകരില്‍പോലും
പലര്‍ക്കും അറിയില്ലെന്നത് പ്രയാസം സൃഷ്ടിക്കുന്നു. കുട്ടികള്‍ക്ക് പ്രയോജനമില്ലാതാവുന്നതിന് ഇത്
കാരണമാകുന്നു.
3. ഇത് ആശയക്കുഴപ്പം സൃഷ്ടിക്കുന്നതാണ്. കാരണം 1, 4 കോളങ്ങള്‍ കൊടുത്തതിന് അകത്ത് വരുന്ന രണ്ട്
കോളങ്ങള്‍ പൂര്‍ത്തിയാക്കുമ്പോള്‍ ആശയക്കുഴപ്പത്തിനിടയായേക്കാം. നാലാമത്തേത് नीले आसमान में उड़ना
असंभव बन गया, नौजवान पक्षी के लिए उड़ना असंभव बन गया, पक्षी के लिए आसमान में उड़ना असंभव बन
गया- ഇവയിലേതെങ്കിലും ആവാമായിരുന്നു.

उड़ना असंभव बन गया
आसमान में उड़ना असंभव बन गया
नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया
पक्षी के लिए नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया।
नौजवान पक्षी के लिए नीले आसमान में उड़ना असंभव बन गया।
ഇങ്ങനെയെഴുതുന്ന മികച്ച വിദ്യാര്‍ത്ഥികളും ഉണ്ടായിക്കൂടെന്നില്ല.
4. ചോദ്യം 13ന് राय എന്ന പദത്തിന്റെ അര്‍ത്ഥം അറിയാത്ത ശരാശരിക്ക് താഴെയുള്ള കുട്ടികള്‍
പ്രയാസപ്പെട്ടുകാണും.
5. ചോദ്യം 14, 15ന്റെ ഉത്തരം എഴുതാനായി കൊടുത്ത പദ്യഭാഗത്തിലെ कूड़ादान, पुरवाई എന്നീ പദങ്ങളുടെ
അര്‍ത്ഥം കൊടുക്കാതിരുന്നത് ഉത്തരമെഴുതുന്നതിന് പ്രയാസം സൃഷ്ടിച്ചുകാണും.
6. ചോദ്യം 18ലെ शीर्षक की सार्थकता എഴുതാന്‍ നല്ല നിലവാരക്കാരായ കുട്ടികള്‍ക്ക്മാത്രമേ
സാധിക്കുകയുള്ളൂ.
ഈ പ്രശ്നങ്ങളെ ഒഴിവാക്കിയാല്‍ ചോദ്യപേപ്പര്‍ അല്‍പംകൂടി മെച്ചപ്പെടുമായിരുന്നു. വലിയ ചോദ്യങ്ങളില്‍ മൂന്നെണ്ണത്തിന് ചോയ്സ് കിട്ടിയത് കുട്ടികള്‍ക്ക് ആശ്വാസകരമായിരിക്കാം.

രവി, കടന്നപ്പള്ളി ഗവഃ ഹയര്‍ സെക്കന്ററി സ്കൂള്‍, കണ്ണൂര്‍.
16-12-2017

X Hin II Term Exam Dec 2017 - Ans


X Hin II Term Exam. Dec. 2017 – Model Answer Paper

1. सही प्रस्ताव – () चार्ली का शो देखकर दर्शकों ने माँ से उसकी प्रशंसा की। 1
2. वाक्य की पूर्ति - माँ स्टेज पर आख़िरी बार आयी 1
(माँको आदरवाचक मानकर आयींलिखनेवाले बच्चे भी हो सकते हैं।)
3. बेटे का शो देखकर चार्ली की माँ बहुत खुश हो गई – माँ की डायरी 4
तारीखः...............
आज मैं मंच पर गीत गाते समय मेरी आवाज़ फटकर फुसफुसाहट में बदल गई। थोटी देर में दर्शक हल्ला मचाने लगे। विवश होकर मैनेजर ने मेरे पाँच साल के छोटे बेटे को स्टेज पर भेजा। मैं बहुत डरती थी। लेकिन बेटा चार्ली ने थोड़ी देर में दर्शकों को खुश करने लगा। उसने गीत गाकर, अभिनय करके और गायकों की नकल उतारकर सबको खुश करने लगा। उसने मेरी फटी आवाज़ की भी नकल उतारी थी। लोगों ने मंच पर पैसे बरसाये। इस प्रकार मेरी आवाज़ फटने पर शोर मचानेवाले लोगों को मेरा छोटा बच्चा अपने नियंत्रण मे लाया। मेरी हालत पर मैं बहुत दुख और अपमान का अनुभव कर रही थी। लेकिन मेरे बेटे ने स्टेज सँभाला। यह मेरा आखिरी कार्यक्रम है। आज का दिन मुझे दुख और सुख का था।

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
4. ये पंक्तियाँ अकाल की ओर इशारा करती हैं। 1
5. चूहों की भी हालत रही शिकस्त – पंक्ति का मतलब है- अकाल का प्रभाव घर में रहनेवाले मानवों पर ही नहीं पड़ते वल्कि उस घर में रहनेवाले छोटे जीव-जंतुओं पर तक उसका प्रभाव पड़ता है। क्योंकि घर में खाना नहीं बनता तो छोटे-छोटे जीवों को भी खाना मिलने में कठिनाई होती है।
6.अकाल से उत्पन्न परेशानियों पर टिप्पणी 3
हिंदी के मशहूर कवि बाबा नागार्जुन अपनी कविता अकाल और उसके बाद के द्वारा अकाल से पीड़ित और अकाल से मुक्त हुए घर का बारीक वर्णन करते हैं।
कवि कहते हैं कि घर में कई दिनों तक चूल्हा रो रहा है और चक्की उदास रहती है क्योंकि घर में अनाज के दाने नहीं तो इनका कोई काम नहीं है। घर में खाना बनने पर ही उसका छोटा हिस्सा घर की कानी कुतिया को भी मिलता है। कई दिनों की भूख से वह सोई पड़ी है। इसी प्रकार घर में रहनेवाले छिपकलियाँ, चूहे आदि सभी जीवों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। याने घर की गरीबी और अकाल से मानवों के साथ वहाँ रहनेवाले सभी जीव परेशान हैं।
कवि ने इस कविता के द्वारा अकाल की हालत का वर्णन अच्छी तरह से किया है। उसमें उन्होंने छोटे-छोटे जीवों तक को नहीं छोड़ा। अकाल आज भी भयंकर होता है। उसके असर से सारा समाज पीड़ित होता है। समाज के सभी कार्यकलापों में उसका परावर्तन होता है। अकाल की भीषणता की ओर सबका ध्यान आकर्षित करनेवाली यह कविता बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक है। (परावर्तन - പ്രതിഫലനം)
7. "ठाकुर लाठी मारेंगे। साहूजी एक के पाँच लेंगे। गरीबों का दर्द कौन समझता है! हम तो मर भी जाते हैं, तो कोई दुआर‌ पर झाँकने नहीं आता।"
यह जोखू ने गंगी से कहा। 1
8. जोखू ज़मीन पर लेटा। जोखू को ज़मीन पर लेटना पड़ा 1
9. जोखू के चरित्र की विशेषताएँ - लघु लेख
मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कहानी ठाकुर का कुआँ का नायक है जोखू। जोखू निम्न जाति का है। वह बीमार है। अपनी पत्नी से पानी माँगकर पीते समय पता चला कि पानी बदबूदार है। इसलिए वह पानी पी नहीं सकता। इस समस्या से परेशान होकर गंगी कहती है कि मैं ठाकुर के कुएँ से पानी लाऊँगी। लेकिन तब जोखू कहता है कि हाथ-पाँव तुड़वा आएगी, बैठ चुपके से। क्योंकि वह जानता है कि ठाकुर, साहू, ब्राह्मण- ये तीनों लोग, उच्च जाति के हैं। वे लोग निम्न जाति के लोगों पर विभिन्न अत्याचार करते हैं। उनके कुएँ से गरीब, निम्न जाति के लोगों को पानी लेने की अनुमति नहीं है। वे लोग निम्न जाति के लोग मरने पर भी उनके द्वार पर झाँकने नहीं आते। याने जोखू जानता है कि उच्च जाति के लोग निम्न जाते के लोगों पर कभी भी दया नहीं करते, बल्कि अत्याचार ही करते हैं। जोखू अपनी पत्नी को कुछ भी खतरा होना नहीं चाहता। इसलिए वह गंगी को ठाकुर के कुएँ से पानी लाने जाने नहीं देता। वह ठाकुर जैसे लोगों के विरुद्ध कुछ करना नहीं चाहता, क्योंकि वह जानता है कि ऐसा करने पर यहाँ जीना भी मुश्किल हो जाएगा।
पाँचवीं कक्षा का रिज़ल्ट आ गया। दोनों छठी में आ गए। यह स्कूल पाँचवीं तक ही था।
"साहिल अब तुम कहाँ पढ़ोगे"? बेला ने पूछा।
"और तुम कहाँ पढ़ेगी बेला?" साहिल ने पूछा
10. सही प्रस्तावः () बेला और साहिल रिज़ल्ट जानने के लिए स्कूल आए थे। 1
11. तुम कहाँ पढ़ोगे? -हम कहाँ पढ़ेंगे? 1
12. पटकथा का एक दृश्यः 4
(फुलेरा कस्बे की बादल छाई एक गली। स्कूली यूनिफार्म में पाँचवीं में पढ़नेवाले दो बच्चे- एक लड़का और एक लड़की। दोनों के चेहरे पर उदासी है। समय 11 पूर्वाह्न बजे)
बेलाः साहिल अब तुम कहाँ पढ़ोगे?
साहिलः और तुम कहाँ पढ़ोगी बेला?
बेलाः मेरे पापा कह रहे थे कि तुम्हें राजकीय कन्या पाठशाल में पढ़ाएँगे और तुम?
साहिलः मुझे अगले साल अजमेर भेज देंगे। वहाँ एक हॉस्टल है, घर से दूर वहाँ अकेला रहूँगा।
बेलाः क्यों साहिल?
साहिलः पता नहीं क्यों।
बेलाः यानी कि अब तुम फुलेरा में ही नहीं रहोगे?
साहिलः नहीं। तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड दिखाना।
(दोनों एक दूसरे का रिपोर्ट कार्ड देखते हैं।)
12. रिज़ल्ट के दिन साहिल दुखी होकर घर पहुँचा। साहिल और माँ के बीच का वार्तालाप। 4
माँः क्या हुआ बेटे? बहुत परेशान दिखते हो!
साहिलः बेला आगे मेरे साथ नहीं पढ़ेगी न?
माँः क्यों बेटा? क्या हुआ?
साहिलः आज हमारा रिज़ल्ट आया। अगले साल हम दोनों अलग-अलग स्कूलों में पढ़नेवाले हैं न?
माँः वह तो मैं भूल गयी बेटा। सही बात है। अगले साल बेला कहाँ पढ़ेगी?
साहिलः अगले साल वह राजकीय कन्या पाठशाला में पढ़ेगी। आप जानती हैं न कि अगले साल मैं अजमेर में
हॉस्टल में रहकर पढ़नेवाला हूँ।
माँः हाँ बेटा, मैं जानती हूँ। तुम्हारे पिताजी ने कहा था।
साहिलः पाँच साल हम एकसाथ पढ़ रहे थे। अगले साल हम दोनों अलग-अलग स्कूलों में होंगे।
माँः क्या करें बेटा, अगले साल तुम्हें नए मित्र मिलेंगे। तब इस दुख से मुक्त हो जाओगे।
साहिलः ठीक है माँ।
सावन नाम का एक लड़का था। वह बहुत गरीब था। मेले में जाने के लिए उसने अपनी माँ से रुपया माँगा। माँ ने एक रुपया दिया। वह मेले में गया। वहाँ एक दुकान पर गया। उसने एक लड़की को देखा वह रो रही थी। लड़की का रुपया गुम गया था। सावन ने उसे अपना रुपया दे दिया।
13. कहानी शीर्षक – दयालू सावन। 1
14. कहानी के आधार पर सही मिलान। 4
कहानी का पात्र सावन
गरीब लड़का था।
मेले में जाने के लिए
सावन ने माँ से रुपया माँगा।
रुपया गुम जाने के कारण
लड़की रो रही थी
रोनेवाली लड़की को
सावन ने रुपया दिया
इतिहासों की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय ले
15. यह आशयवाली पंक्तिः सत्य का पक्ष टूटे हुए पहियों का सहारा ले सकता है 1
सच्चाई टूटे पहियों का आश्लय ले
18. अचानक शब्द का समानार्थी शब्दः सहसा 1
फूलदेई त्यौहार के आयोजन में बड़ों की भूमिका केवल सलाह देने तक सीमित होती है। बाकी सारे काम बच्चे करते हैं। उत्तराखंड के हिमालयी अंचल में फूलदेई से बड़ा बच्चों का कोई दूसरा त्यौहार नहीं है।
17. फूलदेई त्यौहार में बड़ों की भूमिकाः सलाहकार की है।
18. बच्चेके बदले बच्चा का प्रयोग करके पुनर्लेखनः 1
सारे काम बच्चे करते हैं - सारे काम बच्चा करता है।
19. पूलदेई त्यौहार - समाचार
फूलदेई का जश्न मनाया गया।
स्थानः देहरादून तारीखः.......... फूलदेई का त्यौहार मनाया गया। पिछले 21 दिनों में उत्तराखंड में विशेषतः हिमालयी अंचल में लोग फूलदेई का त्यौहार मना रहे थे। यह त्यौहार पूर्णतः बच्चों के द्वारा मनाया गया। बड़ों की भूमिका सिर्फ सलाह देना मात्र रहा। बच्चों ने रोज़ देर शाम तक रिंगाल से बनी टोकरियों में फूल चुने और गागरों में पानी भरकर उसके ऊपर रखे। रोज़ सुबह गाँव भर बच्चों की टोलियाँ घूमीं। पिछली शाम चुने हुए फूल घरों की देहरियों पर सजाए गए। जिनके घरों में फूल सजाए गए उन्होंने बच्चों को चावल, गुड़, दाल आदि दिए। दक्षिणा में मिली यह सामग्री पूरे इक्कीस दिन तक इकट्ठी की गई। फूलदेई की विदाई के साथ यह उत्सव कल समाप्त हुआ। अंतिम दिन कल इकट्ठी की गई सामग्रियों से सामूहिक भोज बनाया गया। त्यौहार के दिनों में लोकगीतों की प्रस्तुति हुई थीं। नाटक प्रतियोगिता, गरीब लोगों के लिए कपड़ा वितरण आदि विभिन्न कार्यक्रम इसके साथ चलाए गए।
19. फूलदेई त्यौहार – पोस्टर
सामूहिक फूलदेई त्यौहार
3 अप्रैल 2017, सोमवार
आज़ाद मैदान, देहरादून
रंग-बिरंगे फूलों से रंगोली, सजावट
लोकगीत प्रस्तुति
नाटक प्रतियोगिता
सामूहिक भोज
गरीब लोगों के लिए कपड़ा वितरण
भाग लें, सफल बनाएँ
मित्र मंडल सांस्कृतिक समिति
उस दिन हम हिंदुस्तान की आख़िरी सीमा (बॉर्डर) देखने गए। बॉर्डर जैसलमेर से कोई 100-130 किलोमीटर दूर है।
20. जैसलमेर यात्रावृत्त का लेखक मिहिरहै। 1
21. वाक्य पिरमिड 2
उस दिन सीमा देखने गए।
उस दिन हम सीमा देखने गए।
उस दिन हम हिंदुस्तान की सीमा देखने गए।
उस दिन हम हिंदुस्तान की आखिरी सीमा देखने गए।
रवि. एम., सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल कडन्नप्पल्लि, कण्णूर।